आप सब ने जुड़वाँ, हीरो नंबर1, डुप्लीकेट जैसी फिल्में तो देखी होगी जिसमें हीरो हीरोइन के हम शक्ल जैसे व्यक्ति भी होते हैं। जहां पहले इन फिल्मों को शूट करने के लिए हीरो को डबल टेक शूटिंग करनी पड़ती थी या फेक बॉडी का इस्तेमाल करना होता था, लेकिन आज के टेक्नोलॉजी के युग में हमशकल बनाना बस चंद मिनटों का काम है। तो आप सोच रहे होंगे कि यह सब इतना आसान कैसे हो गया है तो इसका जवाब डीप फेक टेक्नोलॉजी है। इसके अलावा क्या इस technology के कुछ नुक्सान भी हैं, जानेंगे इस आर्टिकल में. तो आइए जानते हैं इस टेक्नोलॉजी के बारे में:-
डीप फेक टेक्नोलॉजी क्या है?
यह टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करती है और यह एक डीप लर्निंग पर आधारित टेक्नोलॉजी है। जिस प्रकार हम किसी डॉक्यूमेंट या पेज की फोटो-कॉपी करते हैं ठीक इसी प्रकार टेक्नोलॉजी चलते-फिरते लोगों की फोटो कॉपी कर लेती है, यानी हम इंटरनेट या टीवी पर किसी व्यक्ति का वीडियो या उसका इंटरव्यू देते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि वह सही होगा क्योंकि आज के समय में डीप फेक टेक्नोलॉजी द्वारा इसे फर्जी भी बनाए जा सकता है और यह काम इतनी सफाई और बारीकी से किया जाता है की जिसमें रियल इंसान के सारे फेस एक्सप्रेशन फ़र्ज़ी इंसान के चेहरे पर आसानी से दिखाई जा सकते हैं वह भी बिना किसी गलती के।

डीप फेक टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है?
किन तरीकों से एक वीडियो या इंटरव्यू डीप फेक टेक्नोलॉजी द्वारा फर्जी बनता है:-
- Face Swap: – फर्जी वीडियो बनाते समय सबसे पहले वीडियो में असली चेहरे को किसी अन्य व्यक्ति के चेहरे के साथ बदल दिया जाता है जिससे वह वीडियो एक असली वीडियो की तरह प्रदर्शित हो।
- Lip-sync: – बाद में उस वीडियो में lip-sync तकनीक से इन वीडियो की वॉइस को एडिट करके फेक ऑडियो डाली जाती है ताकि जो व्यक्ति बोल रहा है उसका मुंह और लिप्स इस फर्जी ऑडियो के साथ मैच किया जा सके।
- Puppet Master: – अंत में किसी फर्जी व्यक्ति को उसी शक्ल के व्यक्ति के जैसे कैमरे के सामने बिठा कर मिमिक्री जैसे: – सिर आंखों का चलाना और चेहरे के हाव भाव आदि किए जाते हैं। जिससे कि वीडियो देखने वाले व्यक्ति तो यह सब कुछ एक रियल वीडियो की तरह लगे।
डीप फेक टेक्नोलॉजी के इफ़ेक्ट
इस टेक्नोलॉजी को कुछ ज्यादा साल नहीं हुआ है लेकिन इस टेक्नोलॉजी का शिकार बहुत से एक्टर, एक्ट्रेस, राजनीतिक हस्तियां आदि हुए है, अगर इन नामों की गिनती की जाए तो यह गिनती अनगिनत है इनकी गिनती खत्म ही नहीं होती है। लेकिन दुख की बात तो यह है कि इस तकनीक का उपयोग महिलाओं और राजनेताओं के vulgar फोटो और पोर्न video बनाने में हो रहा है जो कि एक चिंता का विषय भी है। भारत में ऐश्वर्या राय, कैटरीना कैफ, प्रियंका चोपड़ा और राजनीतिक में दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और 2016 में कन्हैया कुमार प्रकरण, जो पूरे देश में चर्चित था, आदि है। ऐसे बहुत से केस सामने आये हैं जिसमें डीप फेक टेक्नोलॉजी से बहुत से व्यक्तियों को जेल जाना पड़ा और कई लोगों का कैरियर खराब हो गया. हालांकि यदि एक फोटो को फ़ोटोशॉप से एडिट करके दिखाया जाता है तो उस पर शक किया जा सकता है लेकिन वीडियो में डीप फेक टेक्नोलॉजी इतनी सफाई से एडिट करती है की असली और फर्जी में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है।

दोस्तों आप जानते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके डेवलपर ने एक ऐप बनाया था जिसका नाम था डीप न्यूड ,ऐप में किसी भी महिला का फोटो डालिए और यह ऐप मात्र 30 सेकंड में उस महिला की फोटो की फोटो कॉपी करके इंटरनेट पर उसके जैसे किसी का naked बॉडी को जोड़कर उस ऐप में शो करा देता था और वह भी फ़ोटोशॉप जैसे सॉफ्टवेयर के बिना। लेकिन बाद में गवर्नमेंट ने इसे बैन कर दिया था ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को बढ़ावा ना मिले।आप सोचिए उस व्यक्ति की क्या मानसिकता रही होगी जो महिलाओं की अश्लील फोटो बनाने के लिए इन टेक्नोलॉजी का यूज कर रहा है, एक ओर जहां वह बेहतर टेक्नोलॉजी औरतों की सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है तो दूसरी ओर यही टेक्नोलॉजी औरतों को कमजोर ही बना रही है। अगर लगातार असामाजिक तत्व इसी प्रकार इस टेक्नोलॉजी का गलत उपयोग करते रहे तो ये समाज के लिए बहुत घातक साबित हो सकती है।
डीप फेक वीडियो का किस प्रकार पता लगाएं ?
हम यह जानते हैं कि डीप फेक टेक्नोलॉजी धीरे-धीरे और अधिक इंप्रूवमेंट कर रही है जिससे की पहचान करना मुश्किल होता जा रहा है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी है जिसके जरिए हम यह जान सकते हैं कि वीडियो फर्जी बना है या नहीं।
- अजीब आंखें:- जी हां, नकली चेहरों में रियल आंखों की तरह नजरें और रेटिना नहीं होती है किसी कारण जो व्यक्ति रियल में पलकें झपकाता है उस तरह फर्जी वीडियो में व्यक्ति पलकें नहीं झपका सकता है।
- स्किन टोन में बदलाव:- एक असली वीडियो में जिस तरह व्यक्ति के चेहरे का कलर होता है वैसे ही स्किन का कलर फर्जी वीडियो में नहीं हो सकता है क्योंकि डीप फेक टेक्नोलॉजी किसी व्यक्ति का हुबहू चेहरा तो बना सकती लेकिन उसके चेहरे का कलर टोन नहीं बना सकते। क्योंकि वीडियो में जैसे ही चेहरा मुड़ता है तो वीडियो खराब हो सकता है, जैसे किसी गेम में ग्राफिक्स के खराब होने पर चेहरा भी खराब हो जाता है ।
- खराब lip-sync :- कभी-कभी वीडियो में फेक ऑडियो देते समय उसकी ऑडियो और होठों की चाल में फर्क आने पर lip-sync खराब हो जाती है जिससे व्यक्ति या पहचान सकता है कि यह वीडियो फर्जी है, लेकिन इसके लिए आपको तेज नजर और होठों की चाल पढ़ने की कला होनी चाहिए।

अंत में
जिस तरह नई नई टेक्नोलॉजी का विकास और विस्तार हो रहा है तो उसके साथ इसके अवैध और बेकार काम भी हो रहे हैं जिससे इन टेक्नोलॉजी का कोई भविष्य नहीं दिखाई देता है। आजकल डीप फेक टेक्नोलॉजी का उपयोग हर कोई कर रहा है कोई मनोरंजन के लिए कर रहा है तो कोई गलत कार्यों के लिए। डीप फेक टेक्नोलॉजी के बारे में चिंता की बात तो यह है कि यह टेक्नोलॉजी सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक जैसे क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के झूठे वीडियो से लड़ाई-झगड़े का कारण बन सकती है। हालांकि डीप फेक टेक्नोलॉजी मशीन लर्निंग टूल्स के जैसे हमारे जीवन को बेहतर बनाने में काम आती है और इस तकनीक से मैलवेयर और Malicious प्रोग्राम का भी पता लगाया जा सकता है। दोस्तों कैसा लगा आपको आज का आर्टिकल बताइए कमेंट सेक्शन में मिलते हैं एक नई इंटरेस्टिंग आर्टिकल में तब तक के लिए गुड बाय।
और हाँ, आपके पास भी है कोई जबरदस्त टेक्नोलॉजी से रिलेटेड मसाला और आपको है लिखने में जरा सा भी इंटरेस्ट तो आप हमे अपने आर्टिकल्स aryan.yudi@gmail.com पर भेज सकते हैं. हम पब्लिश करेंगे अपनी वेबसाइट पर.
Great information Bhai
Thanks
बहुत अच्छी जानकारी और सरल और आसान भाषा में। 🌻🌻🌺धन्यवाद!🌺🌻🌻
धन्यवाद, आपने हमारे लेख की सराहना की है।😀😊