
CAPACITOR
Capacitor एक passive एलिमेंट है जिसे एनर्जी की source की ज़रुरत होती है . यह एनर्जी को इलेक्ट्रिकल चार्ज की तरह जमा कर लेता है. एक छोटी Rechargeable Battery की तरह Capacitor Mili Seconds में charge होता है और discharge हो जाता है. Capacitor से हो रहे effect को capacitance कहते हैं. Capacitance की S.I unit farad होती है इसे F से दर्शाते है Capacitor का अविष्कार German physicist edward john kliest ने किया था.

Capacitor में दो conducting (चालक ) प्लेट होती है जो circular ,गोलीय ,बेलनाकार (cylindrical ) आदि शेप की होती है . इन दोनों प्लेट को inslutaing medium ( माध्यम ) से अलग किया जाता है. Insulating माध्यम के लिए बीच में insulator material रख दिया जाता है. इस material को dielectric material कहते है. Capacitor के लिए dielectric material पेपर, प्लास्टिक, ग्लास, रबर कुछ भी हो सकता है दोनों Conductors को metal की पतली rods से जोड़ा जाता है.
Capacitor कैसे काम करता है :
यदि capacitor के एक प्लेट को बैटरी के +ve से जोड़ते है तो उस पर +ve चार्ज जमा होता है और वही दुसरे प्लेट को –ve के साथ तो उस पर –ve चार्ज जमा हो जाता है .अगर इन दोनों plates को पास लाया जाये तो दोनों पर एक दुसरे के अपोजिट charge होने के कारण ये attract होंगें बीच में dielectric है तब इससे इन दोनों के बीच में एक electrostatics field उत्तपन हो जाती है. अब बैटरी हो हटा भी लेते है तो दोनों के बीच पोटेंशियल difference रहेगा अब कोई कंडक्टर को इनसे लगाने पर दोनों plates मे करंट फ्लो होने लगता है .

Capacitor एनर्जी produce नहीं करता है बल्कि वह static electricity जमा करता है. जैसे – बाल किये हुए कंघी पर पेपर चिपकता है लेकिन पेपर निकाल देने बाद वापस से नहीं चिपकता है तो इसका सीधा मतलब यह हुआ कंगी discharge हो गयी है. ठीक वैसे ही बैटरी या दुसरे power source से capacitor के दोनों टर्मिनल को जोड़ते है तो कुछ समय के लिए माइक्रो या मिली second के लिए तो Capacitor चार्ज हो जाता है और उसका इस्तेमाल कर लेने पर वह discharge हो जाता है.
Capacitor के विभन्न प्रकार :
Capacitor मुख्य: रूप से दो प्रकार के होते है :
1.Polarized capacitor
2.Polarized capacitor
Polarized capacitor में +ve और –ve का खास ध्यान रखना पड़ता है वरना वो काम नहीं करते .Unpolarized capacitor के connections कैसे भी करो कुछ फर्क नहीं पड़ता है.
Capacitor के यह भी प्रकार होते हैं :
1. Air capacitor :इस capacitor में हमेशा दो प्लेट के दो दो सेट रहते हैं .प्लेट का एक सेट moveable और दूसरा static रहता है.moveable और static प्लेट के बीच में एयर का dielectric होता है. यह रेडियो में प्रयोग होता है .इसे gang कंडेंसर भी कहते है .
2. पेपर capacitor : इस capacitor में conducting प्लेट के बीच dielectric के लिए मोम या तेल से impregnated कागज़ लगा होता है.
3.Ceramic capacitor : इस capacitor में ceramic की पतली चकतियों या प्लेटो की दोनों फेस पर चांदी की परत छड़ी रहती है . इस capacitor में ceramic dielectric का काम करता है.
4. Electrolytic capacitor : इस प्रकार के capacitor में अलुमुनियम की दो प्लेट होती है जिसमे एक प्लेट पर oxidised फिल्म की लेयर होती है और दूसरी बिना oxidised की होती है. oxidised लेयर dielectric का काम करता है. इसके oxidized लेयर पे solid , liquid या गैस का गेल लगा electrolyte बनाया जाता है जो cathode का काम करता है