Wearable Technology kya hai? Types and Advantage?

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अगर आप टेक्नोलॉजी में interest लेते हैं या फिर हमे थोडा सा भी फॉलो करते हैं तो आपको ये तो आईडिया होगा ही कि ये वर्ड हाल में काफी चर्चा में है और intellectual लोग इस पॉइंट पर काफी discuss कर रहे हैं. तो आज का agenda दोस्तों यही रहेगा. तो चलिए जानते है इसके बारे में.

वियरेबल टेक्नोलॉजी क्या है?

वियर यानी पहनना. तो जो टेक्नोलॉजी या devices जिन्हें हम अपनी बॉडी पर पहन सकते हैं या वह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जिसको स्किन की सतह पर लगा सकते है, उन्हें वियरेबल टेक्नोलॉजी कहते है। इन technology का fundamental advantage ये है कि ये आपकी बॉडी से टच होने पर sensors की मदद से आपकी बॉडी में हो रहे मूवमेंट्स, changes को डिटेक्ट कर सकती हैं या फिर आपके senses जैसे आँख, नाक, कान, स्किन को इनपुट दे सकती हैं. इसके बारे में आगे हम डिटेल में पढेंगे.

वियरेबल टेक्नोलॉजी क्या है?

वियरेबल टेक्नोलॉजी के बारे में

पिछले कुछ वर्षों से ये टेक्नोलॉजी काफी फेमस हो रही है , लेकिन कुछ जगहों पर ये बात नई नहीं है। जैसे उदाहरण के लिए यदि आप कोई कलाई घड़ी पहनते है तो यह आम बात है क्योंकि यह एक साधारण प्रकार का पहनने का उपकरण है। लेकिन वियरेबल टेक्नोलॉजी की खास बात यह है की आप इसे कंप्यूटर या मोबाइल से जोड़ सकते है और अपनी स्मार्ट घडी से कुछ इंट्रस्टिंग काम कर सकते है। धीरे-धीरे जैसे मोबाइल नेटवर्क बढ़ते गये इस वियरेबल टेक्नोलॉजी का विकास भी बहुत तेज़ी से होने लगा। फिटनेस ट्रैकर यूजर के लिए पहनने योग्य पहली वियरेबल टेक्नोलॉजी थी। फिर धीरे धीरे ये घडी एक टच स्क्रीन घडी में बदल गयी जिसे स्मार्टवाच कहते है, ये एक मोबाइल में एप्लीकेशन के जरिये कण्ट्रोल की जा सकती है । 

वियरेबल टेक्नोलॉजी के प्रकार

फिटनेस ट्रैकर :

एक फिटनेस ट्रैकर का यूज़ यूजर के हेल्थ की निगरानी रखने के लिए किया जाता है, यह यूजर के स्किन के पास कनेक्ट रहता है जिससे यह स्टेप काउंट , average हार्टबीट, ब्लडप्रेशर आदि को ट्रैक कर सके। उदाहरण के लिए आप एक फिटनेस ट्रैकर द्वारा यह पता लग सकते है की आप एक दिन में कितनी दूरी तक चले है या आपने एक दिन में कितनी कैलोरी बर्न की है। फिटनेस ट्रैकर को बस पहनिए और भागिए ये आपके स्टेप काउंट खुद कर लेगा।        

Fitness tracker

स्मार्टवॉच

स्मार्टवॉच एक आम वॉच की तरह नहीं होती है क्योंकि इसमें कुछ ऐसे एडवांस फीचर होते है जो इसे स्मार्ट बनती है। जैसे अगर आप अपने स्मार्टफोन में बार-बार ईमेल , मैसेज या नोटिफिकेशन को नहीं देखना चाहते है और इसे अपनी स्मार्टवॉच में देखना चाहते है तो बस आपको अपनी वॉच को स्मार्टफोन से कनेक्ट करना है और बस सारी नोटिफिकेशन आपके हाथ में आ जाएगी। लेकिन स्मार्टवॉच सिर्फ अपने कम्पेटिबल फ़ोन से ही कनेक्ट हो सकती है जैसे एप्पल वॉच सिर्फ एप्पल आईफ़ोन से ही कनेक्ट हो सकती है, वही दूसरी तरफ सैमसंग वॉच या मोटो 360 को सिर्फ एंड्राइड फ़ोन से कनेक्ट कर सकते है।

Smart watches

स्मार्ट ज्वेलरी

आपने कभी ना कभी किसी ज्वेलरी का उपयोग किया होगा , लेकिन क्या आप जानते है की आज के समय में ऐसी-ऐसी ज्वेलरी मौजूद है जो फैशनबल होने के साथ-साथ स्मार्ट भी है। उदाहरण के लिए OURA जैसे ब्रांड द्वारा बनायी गयी स्मार्ट रिंग । इस रिंग को बस अपनी ऊँगली में पहनिए और ये रिंग आपको आपके हेल्थ को ट्रैक करने के साथ साथ आपके द्वारा सेट किये गये रिमाइंडर को भी वाइब्रेशन के द्वारा आपको याद दिलाती रहेगी।

Smart jewelry

सेफ्टी डिवाइस

सेफ्टी वियरेबल ऐसे डिवाइस होते है जो आपको उन कंडीशंस में हेल्प करते है जब आप खुद को खतरे में महसूस करे। ये डिवाइस एक गहने के या एक फिटनेस ट्रैकर के रूप में हो सकते है जो हमलावर को बिना बताये एक बटन के जरिये दूसरे को चेतावनी भेजता है और इसके अंदर इन-बिल्ट जीपीएस सिस्टम होता है जिससे आप अपने स्थान को परिवार, दोस्तों या पुलिस के साथ शेयर करके अपनी जान बचा सकते है।

Safety devices

वियरेबल टेक्नोलॉजी का हमारे जीवन पर प्रभाव

कुछ वर्षों पहले इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का कुछ पता भी नही था, लेकिन जब धीरे-धीरे इस टेक्नोलॉजी का मानव जीवन में यूज़ होने लगा तब हमे इस तरह की टेक्नोलॉजी की जरूरत महसूस हुई। जब ये टेक्नोलॉजी आयी तब हमने इसे अपनी डेली लाइफ में इसको एक हिस्सा बना लिया, क्योंकि ये हमारी बॉडी की सभी तरह की इनफार्मेशन स्टोर करके रखते है।  ये एक अच्छा अविष्कार है जो हमारी बॉडी की प्रोग्रेस को मेंटेन करने में हेल्प करता है। वास्तव में, 71 प्रतिशत अमेरिकियों का कहना है कि वियरेबल टेक्नोलॉजी ने उनके स्वास्थ्य में सुधार किया है, एक वियरेबल डिवाइस आपको लक्ष्य बनाने और अपनी फिटनेस में सुधार करने में मदद करने के लिए कई ट्रैकिंग सुविधाओं के साथ आता है।एक वियरेबल डिवाइस आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और यहां तक कि आपके जीवन को भी बचा सकती हैं। उदाहरण के लिए, कई बुजुर्ग मरीज अब हार्ट मॉनिटर और जीपीएस लोकेशन डिवाइस पहनते हैं जो उनकी देखभाल करने वालों को इसकी इनफार्मेशन देते है की मरीज़ की हेल्थ सही है या नहीं। लेकिन हाँ इसकी कोई गारंटी नहीं है की लोग समय के साथ साथ इसका यूज़ करना जारी रखेंगे, क्योंकि एक अध्ययन से पता चला है की 30 प्रतिशत लोगो ने इस टेक्नोलॉजी का यूज़ करना बंद कर दिया है उन्हें लगता है की ये उनके लिए यूज़फुल नहीं है।

वियरेबल टेक्नोलॉजी के advantage

काम करने की कैपेसिटी बढ़ी

एक रिसर्च के अनुसार यह पता चला है कि वियरेबल टेक्नोलॉजी द्वारा लोगों के काम करने की क्षमता 10 प्रतिशत तक और इम्प्रूव हुई है और वे उस काम को और अधिक कुशलता से पूरा कर रहे है। 

नार्मल लाइफ में फायदेमंद

वियरेबल टेक्नोलॉजी हमे बहुत से सुविधाएँ देती है जैसे हमारी फिटनेस को मॉनिटर करना , जीपीएस द्वारा हमारी लोकेशन को ट्रैक कर पाना, हार्ट रेट की जानकारी आदि ।ये डिवाइस पोर्टेबल होते है और इन्हे कहीं भी ले जाना आसान होता है। 

हाई एक्यूरेसी

एक यूजर के हेल्थ और एक्सरसाइज की आदतों में सुधार के लिए वियरेबल टेक्नोलॉजी  ट्रैकिंग की सुविधा देता है, इसके अलावा वो यूजर के हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम तथा उसके उपाय दोनों का एक्ज़ेक्ट परिणाम देता है ।

हेल्थ के प्रति जागरूक

एक शोध में पता चला है कि वियरेबल डिवाइस पहनने के बाद लोग धीरे धीरे अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक हो रहे है और उनमें बीमारियों में भी कमी आ रही है।सर्वे के अनुसार हॉस्प्टिलों में 28 प्रतिशत मरीजों में कमी आयी है जिसका सीधा लिंक फिटनेस ट्रैकर को बताया है।  

वियरेबल टेक्नोलॉजी की disadvantages

  1. कीमत:-आप इन दिनों बहुत कम पैसों में एक फिटनेस ट्रैकर ले सकते है , लेकिन अगर आपको एक अच्छा जो डेली यूज़ के लिए काम आये वैसा डिवाइस चाहिए तो वो आपको थोड़ा महंगा मिलगा। क्योंकि ऐसे डिवाइस बहुत कम उपलब्ध हो पाते है जो बहुत सालों तक चले। पर technology के improvement के साथ कई tech manufacturer के मार्किट में एंटर होने से कम्पटीशन बढ़ा है और कीमतों में कमी आई है.
  2. कम बैटरी लाइफ:- वियरेबल डिवाइस की बैटरी लाइफ बहुत कम समय के लिए होती है। लेकिन फिटबिट ट्रैकर जैसे कुछ डिवाइस कई दिनों तक चल सकते है लेकिन वही एप्पल वॉच की तरह एडवांस डिवाइस केवल एक या दो दिन तक ही चल पाते है।  और कुछ कुछ डिवाइस को तो डेली चार्ज करना पड़ता है।
  3. प्राइवेसी:- वियरेबल डिवाइस की प्राइवेसी को ले कर कुछ मुद्दे सामने आ रहे है जिसमे ज्यादातर यूजर को अभी भी डाउट है की वियरेबल डिवाइस उनकी प्राइवेसी को बनाए रखता भी है या नहीं। चूँकि इस डिवाइस का ज्यादा यूज़ हॉस्पिटल्स जैसे जगहों में होने की वजह से मरीज़ो की जानकारी किसी गलत व्यक्ति तक ना पहुँच जाए इसलिए इसका ट्रैकर की प्राइवेसी का ध्यान रखना पड़ता है।

तो ये थे वियरेबल टेक्नोलॉजी और उसके कुछ टाइप्स और यूज़ेज़ जिसके बारे में हमे discuss किया। उम्मीद करते है की आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा, और बताएगा आर्टिकल कैसा लगा आपको कमेंट सेक्शन में। मिलते है अगले आर्टिकल में कुछ नया ले कर तब तक के लिए गुड बाय.


और हाँ, आपके पास भी है कोई जबरदस्त टेक्नोलॉजी से रिलेटेड मसाला और आपको है लिखने में जरा सा भी इंटरेस्ट तो आप हमे अपने आर्टिकल्स aryan.yudi@gmail.com पर भेज सकते हैं. हम पब्लिश करेंगे अपनी वेबसाइट पर. और आपको ये आर्टिकल अपने दोस्तों के साथ whatsapp या किसी भी सोशल मीडिया पर शेयर करना हो तो आप नीचे दिए गए icons से कर सकते हैं.

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