
Real world vs Virtual world
Real world vs Virtual world
वर्चुअल लाइफ के जहाँ फायदे हैं वहीँ इस दुनिया के बहुत से नुक्सान भी हैं. और इससे होने वाले खतरे का सबसे ज्यादा हमारे मासूम बच्चों पर पड़ता है. चलिए कोशिस करते हैं रियल और वर्चुअल वर्ल्ड की खूबियों और खतरों को कुछ बेहतर तरीके से समझने का.
मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस… एक ऐतिहासिक जगह… बहुत ही खूबसूरत.. पर बहुत बिजी. अगर हम आपसे कहें की इतनी भीड़ भाड़ में, बिना कपड़ों के, गले में एक टैग डाल जिस पर मेरी पर्सनल डिटेल लिखी हैं. तो आप ऐसा करेंगे ? आप बोलेंगे की ऐसा कौन करता है यार? यह तो पागलपन है. लेकिन अगर मैं कहूं वर्चुअल दुनिया में हम सब ऐसा हर वक्त कर रहे हैं. तो आप ये बात मानेंगे? यहीं नहीं, हम इस वर्चुअल दुनिया में लगभग आधा दिन बिता रहे हैं. बच्चों को real दुनिया के लिए तैयार कर रहे हैं लेकिन वह दुनिया इन्तेरेंट वाली जहाँ पर वे real लाइफ से भी ज्यादा वक्त बिता रहे हैं, क्या हम अपने बच्चो को उसके लिए हम उन्हें तैयार कर पा रहे हैं?

क्या फर्क है असली और ऑनलाइन जिंदगी में ?
सर्वे में कई बार ऐसी बाते सामने आई हैं जिनमे 55 प्रतिशत parents ने यह स्वीकार किया है की उन्होंने अपने बच्चों को ऐसे वेबसाइट पर जाते देखा है जो अनुचित है. क्या फर्क है असली और ऑनलाइन जिंदगी में ? इसे समझने के लिए थोड़ा बचपन में चलते हैं पहले विश्वास ज्यादा होता था. गाँव में हर कोई आपको जाने या न जाने पर आपको आपके पापा या दादा जी के नाम से हर कोई जानता था. तब ऐसा लगता था जैसे कि इतनी भीड़ में भी लोग एक दूसरे को जानते हैं और सब पर विश्वास करते थे. पर समय बदल गया है. अब हम तो शायद अपने पड़ोसियों को भी नहीं पहचानते हैं. अब जब असली जिंदगी में विश्वास कितनी कमी है और हम बात कर रहे हैं इंटरनेट की. Example के लिए, अगर कोई अजनबी आपके पास आए और एक चॉकलेट बार दे और कहे इसके बदले में मुझे अपने घर का पता बता दे और बच्चों के बारे में बता दे. तो क्या बता पाएंगे आप? दे पाएंगे उसे ये सब इनफार्मेशन? नहीं ? तो फिर फ्री वाई-फाई के लिए इतनी आसानी से सारी बातें इंटरनेट पर कैसे खुला छोड़ सकते हैं.
कैसे इन्टरनेट आपको देख रहा है?
भारत में इस वर्ष मिनट में एक साइबर क्राइम हो रहा है. ये सब क्राइम के लिए चाक़ू छुरी की जरुरत नहीं पड़ती. यह ज्यादा आसान हैं. और आगे के example में आप जान जाएंगे कि हम कितनी आसानी से अपनी पहचान इंटरनेट पर खोला छोड़ते हैं. Google Maps का नाम तो आपने सुना ही होगा. इसे इस्तेमाल करके ही आप ट्रेवल करते हैं. किसी दिन जस्ट मजे के लिए ही सही. अपने अकाउंट में माप की टाइमलाइन खोलिए. वहां आप किस वक्त कहां थे? कौन सी रोड पर थे? कहाँ गए? कितनी देर रुके? सबकुछ है.
पर कैसे ?
अपने गूगल अकाउंट में आपकी पूरी ऑनलाइन हिस्ट्री है. किस वेबसाइट पर visit की थी. अपने क्या ख़रीदा था. आपने कौन सा YouTube वीडियो देखा था? सब कुछ है? अगर, ऊपर वाला न करे, आपका फोन हैक हो जाए या अकाउंट हैक हो जाए. और विश्वास कीजिए की ये बिलकुल भी मुश्किल बात नहीं है. आपकी ऐसी बातें, जो बाहर नहीं आनी चाहिए तो बाहर आ जाएगी. देखिये, सीक्रेट्स तो सबके होते हैं. और तो और अगर आपने उसमें अपना अपना बैंक अकाउंट link किया हुआ है या पैन कार्ड जुड़ा है या आधार कार्ड जुड़ा हुआ है. तो बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है. गूगल जैसी कंपनी कहती है कि आप अभी ऑनलाइन हिस्ट्री डिलीट करते रहे. पहली बात तो ये कि हम में से कितने लोग यह जानते हैं की ऐसा भी कुछ है क्या? क्या हम ऐसा कर रहे हैं? आजकल आपको ये तो पता होगा की हम खाने से लेकर सोने तक सब काम करते हैं फ्री apps पर हो रहे हैं. आपने कभी सोचा ये इतने apps फ्री कैसे हो गए. एक्चुअली में बिक हम और आप रहे हैं. हमारी ऑनलाइन पहचान इंटरनेट पर बेची जाती है और बदले में हमें कुछ बेचने की कोशिश की जाती है. इंटरनेट पर कुछ भी इत्तेफाक नहीं है. हमारा हर कदम हर वक्त रिकॉर्ड हो रहा है. आप बस ये समझ लीजिये की ये सब apps और वेबसाइट जैसे आपके पीछे पड़े हैं कैमरा लेकर. आपने लाइक बटन दबाएं नहीं की 2 आँखों और बढ़ जाती है.

यहां पर डरने वाली बात यह है कि यह कैमरा हमारे बच्चों के पीछे पड़े हुए हैं. आपकी अपनी जिंदगी में ऐसा हो तो आपको कैसा लगेगा. Suppose कीजिये की आप टीवी देख रहे हैं ऐसा भी हो सकता है की TV आपको देख रहा हो. आपकी video रिकॉर्ड कर रहा हो. और ये ही नहीं, इस video को कहीं और भी भेज रहा हो. ये कोई फ्यूचर की बात नहीं है. ये बात है अभी की. और ऐसा अभी हो रहा है.
हम क्या कर सकते हैं?
इस इंटरनेट में ये जरुरी हैं हम अपनी पहचान उतनी ही दिखाए जितनी की जरुरत है. इसे छुपाने के कई आसान तरीके हैं. बहुत मुश्किल नहीं है.
- पहले तो अपने फोन में जो apps आप इस्तेमाल नहीं करते हैं. उसे डिलीट कर दें.
- फोन के प्राइवेसी फीचर को जरा हाई लेवल पर रखें.
- जो apps और वेबसाइट पर आपका ज्यादा आना जाना है उसके प्राइवेसी राइट को समझें.
- फ्री वाई-फाई के लिए अपने बारे में इतनी आसानी से बताएं ना इसे छुपाने के बहुत सारे तरीके हैं.
- VPN का इस्तेमाल करें. इससे आप छिपते हुए इंटरनेट पर सफर कर सकते हैं.
पर इन सब से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है इस topic को हम बच्चों के साथ रोजाना डिस्कशन करें. उन्हें बताएं stranger लोगो से न मिले. उनके मेल और message डिलीट कर दें. उन पर जल्दी ट्रस्ट न करें जिनसे मुलाकात पहली बार ऑनलाइन हुई हो.
ध्यान रखें कि सिर्फ असली जिंदगी में रिश्तो की पहचान या विश्वास को परखना, सिखाना ही parents की जिम्मेदारी नहीं है यह सारी बातें ऑनलाइन world के लिए भी लागू होती हैं. real लाइफ से भी ज्यादा. यह बात हम समझ ले और जान ले तो मुझे लगता है इस अद्भुत इंटरनेट का बहुत फायदा उठा सकते हैं. लेकिन सबसे जरुरी बात ये है कि आप इन्टरनेट को नहीं देख रहे हैं. इंटरनेट भी आपको देख रहा है.
जगदीश महापात्र , Ted Talks India के lecture से प्रभावित , उपरोक्त आर्टिकल है.