हाय दोस्तों,आपके घर के power devices जैसे टॉर्च, toys, रिमोट, घड़ी आदि चीजों को पॉवर अप कौन करता है? इन सभी चीजों को चलाने के लिए हम इनमे एक छोटा सा आइटम डालते है जो है एक cell. इन सभी चीजों के हार्ट के जैसा है Cell. जो कि हार्ट के जैसे ही device को लाइव रखता है. Cell कई प्रकार के आते है पर आज हम विशेष तौर पर pencil cell के बारे में चर्चा करेंगे लेकिन पहले cell से जुडी कुछ चीज़े समझ लेते है.
बैटरीज
जो भी बैटरी आपने devices में देखी होगी वो, basically एक galvanic cell है. galvanic cell में केमिकल energy को electrical energy में बदला जाता है. बैटरीज दो प्रकार की होती है
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- प्राइमरी बैटरीज
- सेकेंडरी बैटरीज
हम सिर्फ पहले वाले के बारे में बात करेंगे जो है प्राइमरी बैटरीज.
Primary battries
प्राइमरी बैटरीज में जो केमिकल प्रक्रिया होती है वह सिर्फ एक बार होती है मतलब अगर हमने इसे एक बार यूज कर लिया तो इसकी क्षमता ख़त्म हो जाती है और इसे वापस रिचार्ज करके यूज नहीं किया जा सकता. इस लिए इन्हें यूज़ एंड थ्रो बैटरीज भी कहा जाता है. इसका सबसे best example है “Dry battery cell” (पेंसिल cell). जब यह खोजा गया तो इसका नाम leclanche cell रखा गया था.

History of Leclanche cell
- Georges leclanche एक फ्रेंच इंजिनीयर था जिसने ड्राई बैटरी cell 1865 में को खोजा था.
- उसने ऐसी बैटरी को खोज निकली जिसमे अमोनियम क्लोराइड(NH4Cl) एक conducting solution जिसे eloctrolyte कहा जाता है वह मौजूद था और साथ ही negetive और positive टर्मिनल पर जिंक(Zn) और मैंगनीज dioxide(MnO2) मौजूद थे.
- leclenche ने अपनी नौकरी छोड़ कर अपना पूरा टाइम अपनी नयी इन्वेंशन पे देना शुरू कर दिया और बाद में उसने cell को बनाने की एक फैक्ट्री खोल दी.
पेंसिल cell के अंदर क्या है?
- cell का सबसे बाहरी हिस्सा मेटल केसिंग होता है जिस पर कंपनी का नाम और बाकि सारी चीज़े छपी रहती है.
- बाहरी किनारे की ओर उपर-नीचे जो हिस्सा थोडा उपर की और उठा हुआ रहता है उसे positive end और जो हिस्सा सपाट होता है उसे negative end कहा जाता है.
- negative end बाहर की सर्किट से जुड़ा होता है और positive end अन्दर के हिस्से के कार्बन रोड से जुड़ हुआ रहता है.
- इस केसिंग को हटा दिया जाये तो एक जिंक(Zn) एनोड दिखाई पड़ेगा जिसके उपर एक सुरक्षित polyethene कवर चढ़ाया हुआ होता है. यह कवर सुरक्षा के लिए लगाया जाता है ताकि जब केमिकल रिएक्शन हो तो जिंक क्लोराइड(zncl2) लीक न हो. इसके साथ दो प्लास्टिक की रिंग भी यूज की जाती है जो cell के उपर-नीचे लगी होती है ताकि लीकेज की संभावना शून्य के बराबर हो जाये. Double safety. क्यूंकि लीक होने के बाद इससे devices को भी नुक्सान पहुँच सकता है.
- जिंक(Zn) एनोड को हटा दिया जाये तो वहा दिखाई पड़ता है positive और negetive इलेक्ट्रोड को एक दूसरे से दूर रखने वाला electrolyte, इसे seperator के नाम से भी जाना जाता है. यह गैप बनाना इसीलिए जरूरी है ताकि cell को कोई नुकसान न हो.
Working
Cell के दो हिस्से होते है, जिंक(Zn) जो कि एनोड होता है और कार्बन रोड जो होता है कैथोड. जिसके इर्दगिर्द manganese dioxide का पाउडर होता है. अब electrodes के बीच जो जगह होती है वहा पर NH4Cl और ZnCl2 अपना अड्डा जमाये हुए बैठे रहते है. इस व्यवस्था में यहाँ केमिकल रिएक्शन होती है जो थोड़ी complex है.

Anode: Zn(s) à Zn2+ + 2e-
Cathod: MnO2+NH4+ + e- à MnO(OH) +NH3
cell का जो पोटेंशियल होता है वह लगभग 1.5V जितना होता है.
आप लोगो के भी मन में पेंसिल cell को खोलने का विचार जरूर आया होगा और कुछ लोगो ने तो किया भी होगा (curious minds). पेंसिल cell के आते ही wet battery cell का उपयोग कम हो गया क्युकि wet battery के लीक होने के बहुत ज्यादा संभावना होती है और ऐसे छोटे-छोटे benefits के कारण dry battery cell को काफी सराहा गया. तो दोस्तों आज के लिए इतना है फिर आपसे मिलते है अगले आर्टिकल में तब तक लिए बाय-बाय.