हाय दोस्तों, आप लोगों ने बहुत कुछ सुना होगा मशीन लर्निंग के बारे में. और दिमाग में कई तरह के सवाल भी आते होंगे कि मशीन लर्निंग क्या है और मशीन अपने आप कैसे लर्न कर सकते हैं. कभी-कभी दिमाग में मैट्रिक्स मूवी जैसे मशीनों के लर्न करने जैसी इमेजेस हमारे दिमाग में आते हैं. तो लाख टके की बात यह है कि क्या वाकई मशीन लर्निंग कोई कांसेप्ट है या फिर रियलिटी? और करती हैं लर्न तो आखिर कैसे और क्या होगा अगर ये लर्न करना शुरू कर दे तो? आज देखेंगे हम इस आर्टिकल में.

Machine learning क्या है and working?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटर गेमिंग के फील्ड के महारथी Arthur Samuel ने सबसे पहले मशीन लर्निंग की टर्म का इस्तेमाल किया. अगर मशीन लर्निंग की परिभाषा की बात करे तो यह शिक्षा का वह क्षेत्र है जिसमें कंप्यूटर्स को बिना प्रोग्राम किए सिखाया जाने की क्षमता रहती है. अगर सीधे सीधे शब्दों में कहें तो मशीन लर्निंग की हेल्प से कंप्यूटर अपने तजुर्बे के हिसाब से बिना प्रोग्राम किए हुए या फिर देना ह्यूमन के असिस्टेंट के काम कर सकते हैं और डिसीजन भी ले सकते हैं. मशीन लर्निंग के प्रोसेस की शुरुआत, कंप्यूटर स्कोर अच्छी क्वालिटी का डाटा प्रोवाइड कराने से होती है और इन कंप्यूटर्स को यानी की मशीन को धीरे-धीरे ट्रेन किया जाता है. इनकी ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग तरह के मॉडल्स का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें बहुत सारा डाटा और एल्गोरिदम होती हैं. यह एल्गोरिदम किस तरह के होंगे इस बात पर डिपेंड करता है कि आप कौन सी चीज को ऑटोमेट करना चाहते हैं. यानी कि आप ऐसी कौन सी चीज बनाने जा रहे हैं जो बिना किसी ह्यूमन इंटरवेंशन के और बिना प्रोग्रामिंग के डिसीजन लेगी. मशीन फीड किये गए डाटा और अल्गोरिथ्म को समझती है और अपने आपको तैयार करती है कि इस डाटा के experience के हिसाब से जब मशीन को खुद decision लेना होगा तो वो कैसे कोई decision लेगी.

Example ऑफ़ machine learning
चलिए आइए इसे एक एग्जांपल के हेल्प से समझने की कोशिश करते हैं. स्टूडेंट्स एग्जाम के टाइम में अपने मशीन यानी ब्रेन को अच्छी तरह के क्वालिटी डाटा से फीड कर आते हैं यानी की अच्छी-अच्छी किताबों से, टीचर्स के नोट से या फिर आजकल तो वीडियो ट्यूटोरियल से पढ़कर अपने ब्रेन को यानि की मशीन को quality data उपलब्ध कराते हैं. इस तरह वे अपने ब्रेन को यानी कि मॉडल को तैयार कर रहे होते हैं जिसे कंप्यूटर की भाषा में मशीन लर्निंग कहा गया है. जैसे-जैसे स्टूडेंट्स प्रैक्टिस टेस्ट पेपर सॉल्व करते हैं उनकी एक्यूरेसी बढ़ने लगती है क्योंकि वह सॉल्यूशन देखकर अपनी एक्यूरेसी इंप्रूव करते हैं और धीरे-धीरे सही answer पर ज्यादा और जल्दी पहुँचने लगते हैं और इस तरह students का परफॉरमेंस better होने लगता है और स्टूडेंट्स फाइनल एग्जाम के लिए तैयार होते हैं. तो कहने का मतलब यह है की जिस तरह स्टूडेंट्स का ब्रेन एग्जाम के पहले अलग-अलग डाटा की सहायता से बार-बार सीखकर एग्जाम के लिए तैयार होता है ठीक उसी तरह मशीन को भी अलग-अलग डाटा और एल्गोरिदम के हिसाब से एक मॉडल के तहत उन्हें सिखाया जाता है. अब जैसे कि एग्जाम में आपके पास answer नहीं होते और आपको अपनी लर्निंग के हिसाब से दिए हुए क्वेश्चंस का आंसर करना होता है इसी तरह मशीन को सिखाए जाने के बाद उन्हें अपने आप से डिसीजन लेने के लिए छोड़ दिया जाता है और वह अपने एक्सपीरियंस और तजुर्बे के हिसाब से जो मॉडल उनका डिवेलप हुआ है उसके हिसाब से इनपुट दिए जाने पर अपना आउटपुट दे सकते हैं. आजकल इस पर बहुत रिसर्च चल रही है कि कैसे इन मॉडल्स को और ज्यादा एक्यूरेट और विश्वसनीय बनाया जाए.
Traditional Programming vs Machine Learning
अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि यह पुरानी प्रोग्रामिंग से कैसे अलग है आइए बताते हैं ट्रेडिशनल प्रोग्रामिंग में हम लोग डाटा यानी के इनपुट और प्रोग्राम यानी कि लॉजिक को एक मशीन पर रन करते थे. और इनपुट के हिसाब से और प्रोग्राम के हिसाब से आपको आउटपुट मिलता था. पर मशीन लर्निंग में ऐसा नहीं है हम मशीन लर्निंग में पहले ही डाटा इनपुट और आउटपुट दोनों देते हैं मशीन को लर्न करा कर, मशीन को ट्रेन कराया जाता है और उसके बाद मशीन खुद अपना प्रोग्राम बनाती है और एक्चुअल रियल टाइम में डिसीजन लेने के लिए तैयार रहती है

Machine Learning Classification
मशीन लर्निंग को दो भागों में बांटा जा सकता है: सुपरवाइज्ड लर्निंग और अनसुपरवाइज्ड लर्निंग. जैसा कि नाम से ही क्लियर है कि जब मशीन आउटपुट को चेक किया जाता है और अगर उसमें कुछ कमी है तो उसे मैनुअली दूर किया जाता है. यानी की ह्यूमन इंटरवेंशन इस में रहता है. पर unsupervised सिस्टम में ह्यूमन इंटरवेंशन बिल्कुल नहीं होता है और पूरा का पूरा डिसीजन मेकिंग मशीन के ऊपर छोड़ दिया जाता है. जाहिर है कि जो अनसुपरवाइज्ड लर्निंग है वह काफी एडवांस्ड फॉर्म है क्योंकि वह इतनी सक्षम है कि बिना किसी के ह्यूमन इंटरवेंशन के अपने डिसीजन ले सके.
Machine learning in real life
आइए देखते हैं कि मशीन लर्निंग रियल लाइफ में कैसे काम करती है. मिसाल के तौर पर, जब हम इंटरनेट पर ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए जाते हैं और हम फिर चाहे खरीदें या ना खरीदें लेकिन आपको उन्हीं प्रोडक्ट से रिलेटेड, साइट्स आपके फेसबुक और अन्य वेब पेज पर दिखने लगते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति मैनुअली बैठकर आपको आपकी पसंद के एड्स आपके कंप्यूटर पर दिखा रहा है. यह काम सब कुछ मशीन लर्निंग की हेल्प से हो रहा है. इस तरह के मॉडल्स बनाए गए हैं जो आपकी पसंद, आपके बिहेवियर और आपकी शॉपिंग की आदत हो को देखते हुए लर्न करते हैं और आपको वही प्रोडक्ट सजेस्ट करते हैं जो कि आप एक्चुअल में खरीदना चाहते हैं. मशीन लर्निंग का काम ही है धीरे-धीरे आपको जानना और आपको इसी तरह के प्रोडक्ट सजेस्ट करना जिसे आप खरीदने के लिए लालायित रहे. इससे आपका और सेलर का बहुमूल्य टाइम भी बचेगा और सेलर का प्रोडक्ट आप तक पहुंचने में बहुत आसानी होगी. इस तरह के एडवरटाइजिंग को टारगेटेड एडवरटाइजिंग कहा जाता है जो कि अभी के समय में काफी पॉपुलर हो रहा है
Machine learning in medical field
मेडिकल क्षेत्र में भी मशीन लर्निंग जबरदस्त तरक्की कर रहा है साइंटिस्ट ने और डॉक्टर से बैठकर साथ में इस तरह के मॉडल्स प्रकार कर लिए हैं जो कि सिर्फ सेल इमेजेस की स्क लाइट्स को देखकर ही कैंसर डिटेक्ट कर सकते हैं हम ह्यूमन लोगों के लिए यह चीज कर पाना बहुत मुश्किल और समय लेने वाला होता है पर अभी मशीन स्कोर इस तरह से सिखाया गया है और उनके मॉडल को इस तरह से तैयार किया गया है कि कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी को बहुत ही early-stage में भी ट्राई किया जा सकता है और यहां तक कि प्रोडक्ट भी किया जा सकता है इन मशीनस में अच्छी तरह का डाटा अच्छी एल्गोरिथम और डॉक्टर एक्सपीरियंस किया जाता है और उस मॉडल को लेकर आने के बाद इतना विकसित किया जाता है कि वह किसी भी पेशेंट के अंदर डायग्नोस्टिको कर सकें अगर
एक और एग्जांपल जो कि आपने सब ने देखा होगा जब कई बार आप फेसबुक पर अपनी फोटो अपलोड करते हैं और आपके साथ आपके दोस्त भी फोटो में होते हैं तो फेसबुक खुद-ब-खुद उन फोटो में आपके दोस्तों को पहचान कर टैग करने के लिए सजेशन देता है. मशीन लर्निंग के इस मॉडल्स को इस तरह से विकसित किया गया है कि वह जानता है कि वह किसका फोटो है और अगर वह person आपके फ्रेंड लिस्ट में हैं तो वह खुद से उनका नाम टैग करने के लिए आपको सजेस्ट कर सकता है.
मशीन लर्निंग के लिए आपको इन विषयों की बेसिक जानकारी होना जरूरी है
- लिनियर अलजेब्रा
- स्टैटिसटिक्स
- कैलकुलस
- बेसिक प्रोग्रामिंग स्किल्स जैसे किसी पाइथन
- प्रोबेबिलिटी और मैथमेटिक्स
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको मशीन लर्निंग की बेसिक जानकारी मिल गई होगी. इसके बाद भी अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं. मिलेंगे अगले आर्टिकल में आपसे फिर कुछ नयी इंफॉर्मेशन के साथ. तब तक के लिए गुड बाय.