Hyperloop Train kya hai | जेट से भी तेज | Speed| Working |

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हाइपर लूप ? ये क्या है ?

जैसे जैसे टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट होता जा रहा है और समय के साथ साथ हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा होता जा रहा है. उसी तरह ट्रांसपोर्टेशन में भी technology के इंप्रूवमेंट से हम हमारे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में जो समय कम होता जा रहा है. लेकिन जिस इंवेंशन के बारे में हम बताने जा रहे हैं वह फिलहाल सोच के परे है. हवा से भी ज्यादा तेज चलने वाली हाइपरलूप ट्रेन के बारे में आज बात करेंगे. कि ऐसा क्या है इस ट्रेन के अंदर जो कि आपको एयरप्लेन से भी ज्यादा तेज ट्रैवल करा सकती है. आइये जानते है.. 

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Hyperloop Train kya hai

क्या जरुरत है हाइपर लूप जैसे कांसेप्ट की ?

अभी के समय में जो फास्टेस्ट अवेलेबल ऑप्शन है वह है हमारे पास प्लेन. जी हाँ,  एरोप्लेन के थ्रू हम पूरे प्लानेट पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से जा सकते हैं. पर इसके कुछ नेगेटिव प्वाइंट्स भी है जैसे कि यह हर किसी के लिए अफॉर्डेबल नहीं है. दूसरा, हवा में चलने के कारण यह रिस्क से भरी भरपूर है. इसलिए काफी लोग ट्रेन को prefer करते हैं जोकि जमीन पर चलती है. लेकिन ट्रेन में सबसे बड़ी समस्या है स्पीड. ट्रेन में अभी तक बहुत ज्यादा स्पीड achieve नहीं हुई है. सबसे ज्यादा तेज चलने वाली ट्रेन की बात करें तो maglev और बुलेट ट्रेन इस श्रेणी में आती है

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लेकिन अब नहीं… अब एक ऐसी ट्रेन के बारे में concpet आ गया है जोकि वैक्यूम tube के अंदर चलती है और इस ट्रेन की मैक्सिमम स्पीड 750 miles per hour, यानी कि लगभग 1200  किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है. इसका कांसेप्ट सबसे पहले 2012 में एलोन मस्क ने दिया था. सबसे ज्यादा एक्साइटिंग बात इस कॉन्सेप्ट की है कि इस कांसेप्ट को ओपन सोर्स कर दिया गया है. यानी कि अलग-अलग कंपनी इस कांसेप्ट पर काम कर रही है.

कैसे काम करती है हाइपरलूप ट्रेन ?

हाइपरलूप ट्रेन एक ट्यूब के अंदर ट्रैवल करती हैं. यानी कि अगर आपको एक सिटी से दूसरे सिटी तक जाना है तो उस सिटी से दूसरी सिटी तक एक ट्यूब बिछी होगी और उसके अंदर यह ट्रेन ट्रैवल करेगी. तो जो बेसिक प्रिंसिपल है उसका नाम है लीनियर मोटर. आपने सामान्य इलेक्ट्रिक मोटर के बारे में तो सुना होगा. जिसके दो बेसिक पार्ट होते हैं. पहला, स्टेटर  जो कि स्टैटिक रहता है. और दूसरा, रोटर जो कि घूमता रहता है. अभी आप ऐसा समझ लीजिए कि जो स्टेटर है वह गोल यानी की सर्किल की शेप में नहीं रहेगा.

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गर हम उसे खोल कर सीधा लंबा लंबा बिछा दे तो इस तरह आपका मोटर लीनियर मोटर कहलाया जाएगा. तो जो यह खुला हुआ स्टेटर है, यह पटरी की तरह काम करेगी. और रोटर की जगह होंगे छोटे-छोटे pods (पॉड्स). यानी कि यहां पर रेलगाड़ी की तरह बहुत सारे डिब्बे नहीं लगे होंगे छोटे-छोटे pods लगे होंगे जो कि स्टेटर यानि की पटरी के ऊपर ट्रैवल करेंगे. यानी कि अगर एक बार मोटर को सप्लाई दे दी जाए तो वह घूमती रहती है उसी तरह लिनियर मोटर को सप्लाई देने पर उसके अंदर पार्ट्स ट्यूब के अंदर पार्ट्स इडली ट्रैवल करते रहेंगे.

Real चैलेंज

बाकी सब तो ठीक है पर सवाल यह है कि 700 miles per hour की स्पीड कहां से लाइ जाए? उसके लिए ट्यूब के  अंदर vacuum क्रिएट किया जाता है.  इस vacuum को और ज्यादा स्ट्रांग बनाने के लिए इसके एक छोर पर एक कंप्रेशर लगा होगा. वह कंप्रेशर ट्यूब की सारी हवा को खींचकर वहां पर vacuum बनता  रहेगा. वेक्यूम क्रिएट होने की वजह से हवा का कोई भी फ्रिक्शन pods को फील नहीं होगा और pods काफी ज्यादा स्पीड से ट्यूब के अंदर ट्रेवल कर सकता है.

Hyperloop Train kya hai | जेट से भी तेज | Speed| Working |
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कैसे ब्रेक लगा पाएंगे इस ट्रेन में

हाइपरलूप ट्रेन को रोकने के लिए उस पर ऑपोजिट साइड से फोर्स लगाया जाएगा. जिसके लिए अलग-अलग कंपनियां अलग अलग तरीके से काम कर रही हैं. रही बात इंफ्रास्ट्रक्चर की तो ट्यूब्स केवल pillars के ऊपर इंस्टॉल की जा सकती है. इसके लिए बहुत ज्यादा हाइपरलूप कंसेप्ट को रियलिटी बनाने में बहुत ज्यादा स्पेस की आवश्यकता भी नहीं होगी. Navada में इस तरह के कॉन्सेप्ट्स ट्रेन बनाकर कुछ टेस्ट भी किए गए हैं.

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फ्यूचर चैलेंजेज 

हाइपरलूप के सामने कुछ कुछ चैलेंज भी है. सबसे पह चैलेंज तो यह है की हाइपरलूप ट्रेन के अंदर बैठे लोग क्या इतना स्पीड और प्रेशर हैंडल कर पाएंगे? क्योंकि जब भी ट्रेन चलेगी और जब रुकेगी तो pods पर एक्सट्रीम प्रेशर आएगा और ह्यूमन बॉडी पर क्या फर्क पड़ेगा ? human बॉडी इसे झेल पायेगी या नहीं ?  यह अभी एक चैलेंज है. दूसरा अगर कोई नेचुरल कैलेमिटी जैसे कि तूफान या भूकंप आता है, तब हाइपरलूप का क्या होगा. क्योंकि इतनी ज्यादा स्पीड से चल रही ट्रेन पर हल्के से हल्का झटका भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है. तीसरा जैसे कि यह बिल्कुल एक नया कांसेप्ट है इसके इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत  ज्यादा पैसा involve होगा  जो कि एक आसान काम काम नहीं है.

खैर यह सक्सेसफुल हो या ना हो लेकिन अगर हमको और ज्यादा स्पीड से  ट्रेवल करना है तो इस तरह के कॉन्सेप्ट्स को अमल में लाना ही पड़ेगा.  उम्मीद करते हैं हम भविष्य में और भी ज्यादा स्पीड से और सुरक्षित तरीके से ट्रेवल करने में सफल होंगे. क्या विचार हैं आपके इस आर्टिकल के बारे में आप हमे बता सकते हैं कमेंट्स में और शेयर कर सकते हैं अपने दोस्तों के साथ.

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