हाय दोस्तों ! आपको पता ही है एक ऐसी छोटी सी चीज जो दिखाई तक नहीं देती, उसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. एक वायरस ने जिसका का नाम है, नावेल-कोरोनावाइरस जिसको pet name COVID-19 से भी जाना जाता है, दिसम्बर 2019 में Wuhan China से उत्पन्न हुआ है. इसने लगभग सभी देशो को अपनी चपेट में ले लिया है. बहुत सारे suggestions इसे रोकने के लिए, कण्ट्रोल करने के लिए और इसे ट्रैक करने के लिए आ रहे हैं. पर इस matter पर क्या technology कुछ हेल्प कर सकती है? और कर सकती है तो कैसे? आइये देखते हैं इस आर्टिकल में.

क्या है कोरोना और कैसे यह फ़ैल सकता है?
यह एक respiratory बिमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है.
- जो व्यक्ति बहुत क्लोज कांटेक्ट में हो एक दुसरे के साथ(6 फीट के भीतर)
- जब किसी रोग पीड़ित वक्ती को खांसी या छींक अती है तब सांस की बूंदों (droplets) के माध्यम से भी फैलने की पूरी सम्भावना है.
TECHNOLOGY की भूमिका
Technology ने हमेशा हमारी लाइफ आसान बनायी है और आज भी यह हमारी मदद करने से पीछे नहीं हटेगी. हम यह आर्टिकल में फोकस करेंगे की technology की मदद से कैसे COVID-19 के खिलाफ जंग लड़ी जा सकती है और Technology जैसे AI (Artificial Intelligence), robots, drones को कोरोना वाइरस से निपटने के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ई ट्रैकिंग
जितने अच्छे तरीके से हम कोरोनावायरस को ट्रैक कर पाएंगे, उतना ही अच्छे तरीके से हम इससे फाइट कर सकते हैं. जो भी न्यूज़ आ रही हैं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर या गवर्नमेंट रिसोर्सेस से या हेल्थ मिनिस्ट्री की रिपोर्ट से, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यह लर्न कर सकता है कि किस किस एरिया में किस-किस रफ़्तार से यह सब केस ज्यादा बढ़ रहे हैं और इसकी हेल्प से कई दिन पहले ही हम लोग predict (अनुमान) कर सकते हैं कि उसके आसपास वाले इन इन क्षेत्रों में वायरस और तेजी से फैल सकता है. यह जानने पर वहां के पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को पहले ही सतर्क कर सकते हैं कि इस वाले क्षेत्र में और ब्रेक होने की संभावना काफी ज्यादा है

ऑटोमेटिकली प्रोसेसिंग ऑफ़ हेल्थ क्लेम
जैसे-जैसे कोरोनावायरस के केसेस बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे क्लीन हेल्थ क्लेम भी बढ़ेंगे. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कि मदद से अल्कोगोरिदम इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है कि इन claims की प्रोसेसिंग ऑटोमेटिक हो, फास्ट हो और फेस टू फेस इंटरेक्शन कम से कम हो ताकि हेल्थ केयर सिस्टम का इस तरह का लोड कम हो सके.
Drones द्वारा मेडिकल तथा अन्य काम की चीजों की सप्लाई और पैट्रोलिंग
अगर किसी एरिया में आउटब्रेक हो गया है या वहां lockdown जैसी स्थिति है तो वहां पर दवाइयां या अन्य जरूरत वाली वस्तु को पहुंचाने का सबसे सुरक्षित तरीका है, Drones. बहुत सारी प्राइवेट कंपनीज ड्रोन की मदद से मेडिकल सप्लाई और क्वॉरेंटाइन मटेरियल हॉस्पिटल से आउटब्रेक होने वाली जगह पर ट्रांसफर कर रहे हैं. ड्रांस की मदद से पेट्रोलिंग भी की जा सकती है और यह देखा जा सकता है कि लोग ज्यादा संख्या में घरों के बाहर तो नहीं निकल रहे. एडवांस्ड ड्रोन थर्मल इमेजिंग की सुविधा से लैस होने के कारण की वजह से लोगों का temperature भी measure कर सकते हैं और सस्पेक्टेड cases का पता लगाया जा सकता है.

नई ड्रग्स डिवेलप करने में
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कि अल्गोरिदम की मदद से गूगल की DeepMind डिवीजन यह पता लगाने में सक्षम है कि कोई भी वायरस किस तरह के प्रोटीन से मिलकर बना है और उसकी संरचना किस तरह की है. इस हिसाब से यह पता लगाया जा सकता है कि इन तरह के वायरस से कैसे लड़ा जा सकता है. इस तरह की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवीजन में उससे लड़ने का तरीका ढूंढने की कैपेबिलिटी है.
एडवांस्ड फैब्रिक
इजरायल के स्टार्टअप Sonovia जैसी कंपनी इस तरह के मास्क और ड्रेसेस बना रही हैं जो एंटीबैक्टीरियल फैब्रिक से बने हुए हैं. यानी कि इस तरह के कपड़ों पर किसी भी बैक्टीरिया का कोई प्रभाव नहीं होगा. ऐसा बताया जाता है कि यह फैब्रिक नैनो पार्टिकल्स की मदद से बनाया गया है.

चैट बोट्स
अगर इंडिया की भी बात करें तो जिस तरह यह कोरोनावायरस फैला है, तो यहां पर करोड़ों लोगों के अलग-अलग तरह के सवाल या डाउट रहते हैं. मैनुअली इन सब लोगों को और उनके सवालों को हैंडल कर पाना मुश्किल है. तो इसके लिए चाटबॉट्स डिवेलप किए जा सकते हैं जिसमें predefined questions के answers फीड रहते हैं. क्यूंकि संभव है कि लाखो लोगो को एक ही तरह का कोई common सवाल पूछना हो. तो लोग चैट बोट्स से बात करके अपनी कंडीशन के बारे में, अपने डाउट्स के बारे में और मेडिकेशन के बारे में सलाह ले सकते हैं.

Use of robot
किसी भी प्रकार का वायरस हो और वो अपनी लाख कोशिश कर ले परन्तु एक रोबोट को वो कुछ नहीं कर सकता. इसी चीज़ का फायदा उठते हुए कई countries ने इंसान-से-इंसान का संपर्क कम करके कुछ जरूरी रूटीन काम जैसे हॉस्पिटल में मरीज़ को खाना और दवा पहुचआना, आस पास की जगह को साफ़ रखना और भी विभिन्न कार्यो के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. Blue Ocean Robotics के UVD रोबोट्स UV (Ultraviolet light ) की मदद से बेक्टेरिया और वायरस को ख़तम करने की क्षमता रखते है.
Case-Study: China में technology का योगदान
BlueDot जो एक कैनेडियन बेस्ड डिजिटल हेल्थ कंपनी है उसने चीन में बढ़ते pneumonia केस पर जांच करना शूरु किया जो Wuhan, China में तेज़ी से फ़ैल रहा था. WHO के द्वारा लोगो को अलर्ट करने से पहले ही BlueDot ने करीब 9 दिन पहले ही इस वायरस के बारे में AI टूल्स की मदद से पता लगा लिया था और लोगो को Wuhan की भीड़-भाड़ वाली जगह से दूर रहने की सलाह भी दी गयी. WHO का यह भी मनना है की यह वायरस से लड़ने में AI एक प्रमुख हिस्सा है. चीन ने ऐसे AI टूल्स का इस्तेमाल किये जो व्यक्ति के तापमान को पता लगाती है जिससे की अगर किसी को बुखार हुआ या वायरस होने की अधिक सम्भावना हो तो उसे तुरंत बाकि लोगो से दूर किया जाये ताकि यह दूसरो इंसान में न फैले.

Earlier contribution
पहले भी 1 बार गूगल सर्च देटा के माध्यम से एक फ़ैलने वाली बीमारी को ट्रैक किया था. लोगो की browsing पैटर्न, निजी massages के विषय से Google ने AI टूल्स की मदद से आने वाले खतरे को पहले से ही जान लिया था और US द्वारा officially घोषणा करने से पहले ही फ्लू के बारे में पता लगा लिया.
हालाँकि AI को, एक्सपर्ट के अनुभवों से बेहतर तो नहीं माना जा सकता. पर अगर अनुभव के साथ Technology का मिलन करवा दे तो यह जोड़ी वायरस से लड़ने के लिए और भी मजबूत हो जाएगी. ट्रेडिशनल तरीको के मुकाबले तकनीकी तरीके ज्यादा बेहतर साबित हुए है. इसी के साथ हम अपनी चर्चा को यही समाप्त करते है और मिलते है अगले आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा एंड Stay safe.