आपको वो समय याद होगा जब कम्पनीज में, स्कूल में attendance में proxy लगायी जाती थी. उसके बाद punch कार्ड्स ने इन लोगो की आज़ादी के पर क़तर दिए. उसके बाद भी कुछ लोगो ने दिमाग लगा कर अपना punch दूसरो को देकर attendance लगवाने के तरीके ईजाद किये. पर जो इतनी आसानी से हार मान जाए उसका नाम technology नहीं. आपने आजकल देखा होगा की लगभग सभी स्कूल और कंपनियां बायोमेट्रिक अटेंडेंस का यूज़ करती है. अब आप ऊँगली काट कर तो देने से रहे. खैर, आपके दिमाग में कभी तो आया होगा कि आखिर ये बायोमेट्रिक होती क्या है, कैसे काम करती है और इसका कहाँ-कहाँ यूज़ होता है. तो चलिए जानते है इसके बारे में:-

बायोमेट्रिक technology क्या है?
बायोमेट्रिक एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे किसी भी व्यक्ति की उसके फेस, रेटिना, फिंगरप्रिंट या आवाज़ आदि से उसकी पहचान कर सकते है। ये बायोमेट्रिक डिटेल्स हर व्यक्ति की अलग अलग होती है जिससे ये उस व्यक्ति को यूनिक बनाता है। जैसे किसी व्यक्ति के आँख के रेटिना या फिंगरप्रिंट होंते है उसके जैसे ही किसी और व्यक्ति के नहीं होंगे, जिससे हर इंसान एक पहचान बनती है। और इस डिटेल को कोई हैक या चोरी भी नहीं कर सकता है। बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन बहुत जल्दी काम करता है और इसका User Interface बहुत आसान है।
बायोमेट्रिक कैसे काम करता है?
बायोमेट्रिक मशीन 3 स्टेप में काम करती है. आइये जानते हैं कि क्या हैं वो स्टेप्स.
- जिसमे सबसे पहले व्यक्ति के फिंगरप्रिंट लिए जाते है
- बाद में उसका नाम और जरूरी डिटेल्स ली जाती है और
- लास्ट में फिंगरप्रिंट स्कैनर फिंगर इमेज को एक यूनिक कोड में बदल देता है जो आगे कंप्यूटर में सेव होता है। और आगे उसको कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर की मदद से उँगलियों के लकीरों का पैटर्न तैयार किया जाते है और इस पैटर्न से अलग-अलग न्यूमेरिक कोड बन जाता है, कंप्यूटर केवल इसी कोड को समझता है और इसी कोड से ही फिंगरप्रिंट्स को मैच करता है, जब ये मैच हो जाती है तभी वह इसे आगे रजिस्टर करता है। ठीक इस तरह ही फेस स्कैनर काम करता है, वह व्यक्ति के इमेज को एक यूनिक कोड में कन्वर्ट करके उससे Identify करता है।

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फिंगर प्रिंट को मैच करते हुए जहाँ उंगलियों के पर बने circles के बीच की डिस्टेंस तक measure होती हैं वहीँ फेस रिकग्निशन में चेहरे के विभिन्न भागो के बीचे की distance के बहुत सारे पैटर्न तैयार करता है.
बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी के यूज़ :-
बायोमेट्रिक के यूज़ तो बहुत सारे है लेकिन कुछ यूज़ हम आपको बताते है:-
- बायोमेट्रिक डोर लॉक:- ये एक हाई बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी है जिसमे किसी विशेष जगह पर जाने से पहले बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन करवाना पड़ता है तभी आप उस जगह में एंटर पाओगे, इससे यह होता है की कोई अवैध व्यक्ति उस स्थान में एंटर नहीं हो पायेगा। जैसे बड़ी-बड़ी लॅबोरेटरी में कुछ इम्पोर्टेन्ट केमिकल एक बंद रूम में रखे जाते है उस रूम में सिर्फ वही लोग जा सकते है जो उस लैब द्वारा Authorized किये गए हो।
- बायोमेट्रिक अटेंडेंस:- इस बायोमेट्रिक डिवाइस का यूज़ खासकर कोचिंग सेंटर, स्कूलों और ऑफिसों में किया जाता है, यह डिवाइस स्कूल के बच्चों की, ऑफिसों में काम करने वाले एम्प्लॉई के फिंगरप्रिंट स्कैन करती है उनकी अटेंडेंस को रजिस्टर है। बायोमेट्रिक सिस्टम कर्मचारी की अंगुलियों के निशान का उपयोग व्यक्ति की पहचान को सत्यापित करने के लिए करते हैं। कर्मचारी के फिंगरप्रिंट को स्कैन किया जाता है, फिंगरप्रिंट के एंडपॉइंट और फर्स्टपॉइंट को डेटाबेस में मौजूद रिकॉर्ड के साथ मिलान किया जाता है और उसके बाद एक्सेस दी जाती है।
- बायोमेट्रिक गवर्नमेंट डॉक्युमेंट:- यह बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन गवर्नमेंट डॉक्युमेंट जैसे आधार कार्ड आदि में यूज़ किया जाता है ताकि कोई व्यक्ति गुम हो जाए तो इस टेक्नोलॉजी का यूज़ करके उसका पता लगाया जा सकता है। जैसे अगर कोई बच्चा गुम हो गया है और उसका आधार कार्ड बना हुआ है तो हम उस आधार कार्ड के जरिए बच्चे की डिटेल निकाल सकते है क्योंकि हर इंसान के आधार कार्ड में आँख के रेटिना और फिंगरप्रिंट के साथ-साथ उसके घर का पता, उसके पेरेंट्स के मोबाइल नंबर इत्यादि की भी जानकारी सेव होती है।

बायोमेट्रिक डिवाइस के टाइप्स :-
- Fingerprint Scanner:- फिंगरप्रिंट स्कैनर एक ऐसा बायोमेट्रिक डिवाइस है जो हाथ के अंगूठे और उंगलियों की लकीरों को स्कैन करता है और इसे एक यूनिक कोड में कन्वर्ट करके अपने डेटाबेस में सेव रखता है जिससे हर व्यक्ति की अलग-अलग Identity हो सके। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक व्यक्ति का एक unique पैटर्न होता है। इसलिए, एक फिंगरप्रिंट स्कैनर हमें पहचानने के लिए उन्हें स्कैन करता है। आपको इसमें हाई लेवल की एक्यूरेसी देखने को मिलेगी। और फिंगर प्रिंट स्कैनर भी होता है।
- Face Scanner:- इस प्रकार के बायोमेट्रिक डिवाइस में व्यक्ति के चेहरे को स्कैन किया जाता है , फिर ये डिवाइस व्यक्ति के चेहरे की डिजिटल इमेज बनाता है जिससे बायोमेट्रिक डिवाइस को पहचान करने में आसानी हो, और वो उससे रजिस्टर कर पाये। और इसे एक वेब कैमरा के साथ कंप्यूटर पर सेटअप किया जा सकता है।
- Iris Scanner:- ये बायोमेट्रिक डिवाइस पूरे चेहरे को न करके केवल आंखों के रेटिना की रेखाओं और रंगों के पैटर्न को analysis करके उसे स्कैन करता है और बाद में उसे verify करता है। उस पैटर्न में ही उस व्यक्ति की जानकारी स्टोर होती है। नई बायोमेट्रिक डिवाइस रेटिना को दूर से ही स्कैन कर सकती है
- Voice Scanner:- जब आप बोलते हो आपके मुंह चलाने का तरीका और आपकी आवाज़ दोनों ही दूसरों से अलग होती है। यह बायोमेट्रिक डिवाइस इसी बेस पर काम करता है आपको इस डिवाइस में कुछ शब्द बोलने पड़ते है जिससे ये डिवाइस आपकी आवाज़ को रिकॉर्ड कर सके और पहचान कर सके। अब आप सोच रहे होंगे की यह डिवाइस भी बाकी डिवाइस की तरह आवाज़ का पैटर्न बनाता होगा तो ऐसा बिलकुल नहीं है। ये बायोमेट्रिक डिवाइस स्टोर हुए डाटा को एक साउंड Spectrum में कन्वर्ट करता है फिर ये Spectrum साउंड की Frequency को Horizontal और Vertical के ग्राफ में दिखाता है। चूँकि हर व्यक्ति की आवाज़ अलग-अलग इसलिए यह ग्राफ भी अलग-अलग Design में दिखायेगा। इस तरह एक Voice Scanner व्यक्ति की आवाज़ को स्कैन करता है। और ये सस्ता भी है, किसी भी महंगे हार्डवेयर या सेटअप की आवश्यकता नहीं है

Advantage of Biometric Technology :-
- Safe:- बेशक आईडी और अन्य पहचान डॉक्युमेंट नकली हो सकते हैं, पासवर्ड या पिन का अनुमान लगाया जा सकता है, चोरी या हैक किया जा सकता है, है। लेकिन एक फिंगरप्रिंट या फेस के डाटा को न तो नकली माना जा सकता है और न ही चोरी किया जा सकता और ना ही हैक किया जा सकता है। इस वजह से ये टेक्नोलॉजी सुरक्षित मानी जाती है। कोई भी एल्गोरिदम को एक छवि में नहीं बदल सकता है इसलिए आपके फिंगर प्रिंट को डुप्लिकेट करना पूरी तरह से असंभव है, इसलिए इसके बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
- No Extra Cost:- बायोमेट्रिक मशीन को अलग से खरीदने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि आज कल स्मार्टफोन में ही फिंगरप्रिंट स्कैनर और फेस रेकग्नीशन जैसी सुविधाएँ In-built होती है और ये यूजर को सिक्योर करते है।
- Easy Use: – इन बायोमेट्रिक डिवाइस को यूज़ करना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस आपको फिंगरप्रिंट स्कैन करने के लिए अपनी फिंगर को स्कैनर पर रखना है और facial recognition के लिए बस अपने कैमरा से फेस स्कैन करना है। इसी वजह से ये डिवाइस इतने Easy to use बनाये जाते है ।
- No Fraud:- बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के द्वारा धोखाधड़ी में कमी आयी है क्योंकि हर व्यक्ति का डाटा बायोमेट्रिकल डाटा पर आधारित होता है जो की यूनिक होता है। और जो कंपनियां बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी का यूज़ कर रही है वो कंपनी साइबर फ्रॉड से सेफ रहती है, और अपने कस्टमर को भी कहीं न कहीं सेफ्टी देती है। बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन सिस्टम न केवल सुरक्षा बढ़ाता है, बल्कि Salary के लिए Attendance ट्रैकिंग जैसे प्रमुख कार्यों को करने के लिए आसान और अधिक कुशल है। यह कर्मचारियों के लिए भी मददगार है क्योंकि उन्हें हर जगह कार्ड ले जाने की जरूरत नहीं है । कंपनी को High Customer Satisfaction का फायदा भी मिलता है।
- Speed:- दुनिया में मोबाइल बायोमेट्रिक Application और हार्डवेयर में तेज़ी से वृद्धि आयी है। बायोमेट्रिक डिवाइस बहुत तेज़ और Trusted होते है यह पासवर्ड सिस्टम से कहीं ज्यादा सेफ होता है। यह टेक्नोलॉजी लगभग पासवर्ड की आवश्यकता को खत्म कर देते है। बायोमेट्रिक फिंगर स्कैनर द्वारा Attendance तेज प्रक्रिया है, यह मुश्किल से 1 से 5 सेकंड तक ही होती है
- Safe Identity:- बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन किसी भी व्यक्ति की पहचान को यूनिक और सेफ रखता है अगर कोई अवैध व्यक्ति किसी की पहचान Copy करने की कोशिश करता है तो वह डिवाइस उसे Accept नहीं करता है और उसे का Not Match मैसेज Show कर देता है।
आज के समय में हमे हैकिंग या डाटा चोरी से सेफ रहने के लिए बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन का यूज़ आवश्यक रूप से करना ही चाहिए। लगभग सारी स्मार्टफोन कपनियां अपने स्मार्टफोन में फिंगरप्रिंट का ऑप्शन दे रही है जिससे यूजर के आलावा कोई और दूसरा उस स्मार्टफोन का यूज़ ना कर पाए और यूजर की पर्सनल इनफार्मेशन सुरक्षित रहे। ज्यादातर मामलों में, बायोमेट्रिक पहचान का उपयोग करना लंबे समय में अधिक फायदेमंद साबित हुआ है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक बायोमेट्रिक सिस्टम बनाये जाते है, टेक्नोलॉजी में उतना ही विकास होता रहता है।आज पूरी दुनिया बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन का यूज़ कर रही है जिससे इसका महत्व भविष्य में बाकि सिक्योरिटी सिस्टम से अधिक होगा क्योंकि ये टेक्नोलॉजी अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक है।
तो दोस्तों आज अपने पढ़ा की बायोमेट्रिक डिवाइस क्या होते है और ये कैसे वर्क करते है और इनके टाइप्स को भी जाना। तो कैसा लगा आपको आज का आर्टिकल बताये मुझे कमेंट सेक्शन में मिलते है एक और नए इंटरस्टिंग आर्टिकल में तब तक के लिए गुड बाय।
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