हाय दोस्तों, अगर आप लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से जुडी हुई खबरे पढ़ते रहते है तो आपने ये recently ये भी सुना होगा कि चाइना एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो लगभग ख़त्म होने आया है. 2018 मे जो आपने खबर या अफवाह सुनी होगी कि China, artificial sun के निर्माण मे लगा हुआ है जिसका तापमान रियल sun से 6 गुना अधिक है. जी हां, आपने सही सुना 6 times hotter मतलब 100 million degree Celsius से भी ज्यादा. तो आपको बता दे ये कोई मजाक या अफवाह नहीं है और ये अब अपने दूसरे सन को बनाने निकल पड़ा है जिसकी टेस्टिंग 2020 में होने वाली है. माना कि चीन अजीबोग़रीब चीजे करता रहता है पर अब सवाल ये आता है की चीन ने ये किया कैसे? आखिर इसकी क्या जरूरत है? क्या ये फायदेमद है ? आपके सभी सवाल के जवाब इस आर्टिकल में.

क्यों जरूरत है alternative Sun की ?
21 centuary की सबसे बड़ी प्रॉब्लम energy है. कहने का मतलब ये है कि दुनिया तेज़ी से बढ़ रही है, हमारे आस- पास की दुनिया इलेक्ट्रॉनिक्स की मदद से डिजिटल होती जा रही है. इन्हें यूज़ करने के लिए हमे energy की जरूरत पड़ती है. इस energy को जनरेट करने के हमारे पास तरीके तो है पर वो कहीं न कहीं हमारे environment के लिए काफी नुक्सान पहुँचाने वाले हैं या फिर इतने efficient नहीं है. और जैसे की अब हम धीरे धीर एनवायरनमेंट के लिए concerned होना शुरू हुए हैं, तो ये कोई नहीं चाहेगा कि इसे कोई भी प्रकार की हानि पहुचे. वैसे तो renewable एनर्जी में wind, water और sun ऐसे sources हैं जो कि एनर्जी के क्लीन सोर्स हैं यानी की environment के लिए सेफ. पर ये इतनी एनर्जी नहीं दे पाते जितनी कि लोगो को जरूरत है. साथ ही साथ हमारे पास जो रिसोर्सेज है उनमे से काफी सारे ऐसे है जो by product देते है जैसे coal , thermal, natural gas power plant. इसलिए दुनिया भर के साइंटिस्ट लगे पड़े है इनका अल्टरनेटिव निकालने के लिए. और इन लोगो को इस सवाल का जवाब शायद उन्हें मिल ही गया जो है जिसका नाम है nuclear energy. अगर अपने स्कूल मे अपने physics के lecture मे सोने के अलावा थोडा बहुत भी ध्यान दिया होगा तो आपको मालूम होगा की nuclear fission और nuclear fusion क्या होता है. अगर नही तो अभी जाग जाईये हम आसान शब्दों मे बता देते है कि यह होता क्या है.
Nuclear Fission:
आप लोगो को Newton बाबा की प्रख्यात equation तो मालूम ही होगी, जिस पर आपने ढेर सारे memes बनाये होंगे. E= mc2 . अगर आपको ये मालूम है तो बस हो गया आपका nuclear fission का टॉपिक समाप्त. इसमें original nucleus और product nucleus के mass का जो अंतर होता है उसे energy में convert किया जाता है इस equation के अनुसार. चलिए आसान से example से समझते है. एटम जैसे (uranium ,thorium etc.) कम energy वाले neutron से टकराते है तो वो छोटे-छोटे टुकडो मे टूट जाते है. टूटने के साथ साथ बहुत सारी उर्जा प्राप्त होती है. इस energy को boillers को चलाने मे इस्तेमाल किया जाता है. इनमें से जो भाप बनती है उसकी एनर्जी से टरबाइन को रोटेट किया जाता है और electromagnetic प्रक्रिया की मदद से बिजली को पैदा किया जाता है.

Nuclear Fusion:
यह fission से विपरीत है. इसमें nucleus छोटे-छोटे टुकडो मे टूटने के बजाये जो छोटे छोटे atoms जुड़कर 1 बड़े nucleus को बनाते है. आम तौर पर hydrogen या तो उसके isotopes को इस्तेमाल किया जाता है helium को बनाने के लिए.

2H+2H------->3He(+n)
यह बहुत ज्यादा मात्रा में उर्जा देने की क्षमता रखता है. इतनी कि न्यूक्लियर फ्यूज़न भी इसके सामने छोटा बेबी लगता है.
China ने क्या अपनाया जोड़न (fusion) या तोडना (fission)? और क्यों?
china ने अपने सूर्य को बनाने के लिए nuclear fusion का इस्तेमाल किया है. पर क्यों? वो unite करने में मनाता है इसलिए. ऐसा कुछ नहीं है. fission के मुकाबले fusion एक साफ़ एनर्जी है कहने का तात्पर्य यह है कि फिशन प्रोसेस मे काफी सारे radio active पदार्थ निकलते है जिसे समुद्र या नदी में डाल दिया जात है जो बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. इसीलिए हम इसपर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं हो सकते. अगर fusion की बात करे तो इसको इस्तेमाल करने के कई फायदे है जैसे:-
- सबसे महत्वपूर्ण बात इसकी है कि यह environment friendly है.
- इससे उर्जा काफी ज्यादा मात्रा में प्राप्त होती है.
- इसे प्राप्त करने के जो raw मटेरियल है वो काफी हद तक आसानी से मिल जाते है.
- यह inexhaustible resources की केटेगरी में आता है मतलब यह ख़तम नहीं होगा.
EAST:
हमारे सन में Fusion Reaction होती रहती है जिसकी वजह से यह बहुत बड़ा energy का सोर्स है.इसको ध्यान मे रखते हुए चीन ने स्वतंत्र रूप से एक रिएक्टर तैयार किया है जिसका नाम EXPERIMENTAL ADVANCED SUPERCONDUCTING TOKAMAK है. यह 11 meter लंबा, 400 tones के वजन वाला और 8 meter चौड़ा है. इसका आकार doughnut की तरह है. हमारी पृथ्वी पर ऐसा कोई पदार्थ नहीं जो सूर्य के कोर का temperature सहन कर सके. चीन ने अपने tokamak मे एसे reaction करवाये है जो बिलकुल सूर्य के कोर मे होते है.इसमे deuterium और hydrogen की fusion प्रक्रिया होती है उर्जा को पैदा करने के लिए. यह 1 शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग करता है जो एक टोरस के आकार मे plasma को सिमित करता है. plasma को फ्लोटिंग (जमीन से ऊपर हवा में) प्लेस पर जमाये रखने में superconducting magnet का उपयोग किया जाता है. हलाकि चीन सिर्फ 10 सेकेंड तक ही इस टेम्परेचर को बनाये रख पायी है पर वह इस पर नियंत्रण पाने का अपना पूरा प्रयत्न कर रही है.

तो अब आपको पता चल गया होगा जिस चीज़ को सूरज चाचा का नाम दिया जा रहा है वो दरसल 1 reactor है. U.S., European Union, India, Japan, Russia and South Korea मिलकर एसा रिएक्टर बना चुकी है जिसका नाम International Thermonuclear Experimental Reactor (ITER) है. उम्मीद करते है आपको यह आर्टिकल इंट्रेस्टिंग लगा होगा और आपके सारे प्रश्नों के उत्तर आपके मिल गए हो. आज इतना ही, फिर मिलेंगे आपसे अगले आर्टिकल में, तब तक के लिए Good Bye, Stay Safe .